हवाएं

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

IBPS SPECIALIST OFFICER RECRUITMENT EXAM

बैंकों में राजभाषा अधिकारी की सीधी भर्ती

IBPS PO & SO 2023 Recruitment
 
Registration Starts 1st Aug.

Reg. Date » From 1st till 21st August 2023

Exam Dates

IBPS PO :  Prelims: September/ October 2023
Mains: November 2023 
Interview: January/February 2024

IBPS SO : Prelims: December 2023

Mains: January 2024

Interview: February/March 2024

Detailed advertisement:

Application Link:


मंगलवार, 18 जुलाई 2023

Certificate course in Translation केवल 3 महीने का कर SSC JHT के लिए elig...

Admission link


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*अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर*( सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध )*के हिंदी विभाग* *की* *ओर से अनुवाद का* *सर्टिफिकेट कोर्स* *ऑनलाइन* *शुरू किया जा रहा है।

_आज दुनिया के सभी देश एक_- दूसरे से जुड़े हैं, जिसमें भाषा  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इस अनुवाद के कोर्स से आप अनुवादक  तथा हिंदी अधिकारी के रूप में काम करने के लिए अपने- आप को तैयार कर सकते  हैं।

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Today's multicultural and multilingual society needs effective and efficient communication between languages and cultures. Practical application of translation will help students to apply as Official language officers in government offices like Bank , Railways, Defence , BSNL, etc.

 *_Name of the course_ :* *Certificate course in* *Translation studies. Hindi to English and vice versa* 
 *Organising Department:* *Department of Hindi* 
 *Name of the coordinator* : *Dr* . *Poornima B.Behere* 
 *Head of the department* : *Prof. Dr.* *Richa Sharma* 
 *Eligibility for admission* : *10+2 ( any* *stream)* 
 *Duration of course* :  *3* *months* 
 *Fees  : ₹ 1500
( U.G  Students can earn 2 credit points by joining this course)

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*Mode of class is ONLINE*

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 _For further details_ _contact_
 Coordinator: 9325331641
HOD : +91 93702 88414

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*Last day to fill the form  is 20 July 2023*

 *Classes will be on Saturday  and Sunday from 6 pm to 8 pm


रविवार, 8 फ़रवरी 2015

गली कूचा -2

खबरों में देखा कि हमारे मित्र के मुहल्ले में अशांति का माहौल है । पिछले कुछ दिनों से रैपिड एक्शन टीम मुहल्ले में डेरा डाले हुए पड़ी है । लोगों में भय एवं अनिश्चितता का माहौल है । कुछ लोगो ने तो अपने बाल बच्चों को कहीं सुरक्षित स्थान पर भेज दिया । क्या पता कल क्या हो जाए । औद्योगिक इलाका , मजदूरो की श्रेणी अधिक है जिन्हे  रोज कमाना और रोज खाना है । कल कारखाने भी बंद हैं । जाएँ तो जाएँ कहाँ वाली स्थिति पैदा हुई है ।
घटना की तह मे जाकर तहक़ीक़ात किया तो पता लगा कि मुद्दा कुछ खास नहीं है । एक समुदाय की धार्मिक शोभायात्रा चल रही थी । इसमें कुछ शरारती तत्वों ने विघ्न पैदा कर दिया । यात्रा करने वालों के साथ मार पीट और अभद्रता की गई । ऐसा नहीं कि उस यात्रा में शामिल लोगों ने इस अभद्रता को सहन किया हो । उन्होने भी सामर्थ्य भर प्रतिकार तो किया ही । बस विरोध का जामा चढ़ गया और हल्का फुल्का झगड़ा कौमी रंग में ढल गया । तलवारें खींच गई और लड़ाइयाँ होने लगी । आनन फानन में प्रशासन ने कर्फ़्यू लगा दिया । कुछ भय और आतंक से तो कुछ पुलिस द्वारा अरेस्ट होने का डर , सबको शांत किए था । मनौवल का दौर चला । जिसकी कोई जरूरत भी नहीं थी वह भी दल का मुखिया बन समझौते के उद्देश्य से बैठकें करने लगा । शांति बहाल कने के लिए कोई भी तैयार नहीं था । किसी ने भी स्कूल जाने वाले उन बच्चों के बारे में नहीं सोचा जिनकी परीक्षा चल रही थी जो इस हंगामे को भेंट चढ़ गयी , अब बेचारों को एक साल और परिश्रम उसी क्लास  में करना  पड़ेगा । उन मजदूरों के बारे में किसी ने नहीं सोचा जो बड़ी मुश्किल से दो जून की रोटी की किसी तरह से जुगाड़ कर पाता था , आज सात दिन से घर में भूखा बैठा है । किसी ने उन बीमार जनों की सुध नहीं ली जो इस घटना के प्रारम्भ में चोट खाये हुए अस्पताल मे पड़े हुए थे । सब अपने अपने आन के लिए लगे हुए थे विरोध  करने में । लगभग सौ से अधिक जवान शांति भंग करने के आरोप में कहें या फिर शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के हत्थे चढ़ कर जेल के सलाखों के पीछे बैठे हैं , उन्हे आजाद करवाने की सुध किसी ने भी नहीं ली ।
 हमारी चमेली ने पूछा कि," यदि किसी की सरकारी नौकरी लगती है तो उसका पुलिस द्वारा जांच किया जाता है , बेदाग साबित होने पर ही नौकरी रहती है । अब ऐसे में उन नौजवानो का क्या होगा जिनहे पुलिस पकड़ कर ले गयी है । उनके भविष्य और सरकारी नौकरी का क्या होगा । " अब इस प्रश्न का उत्तर मेरे पास भी नहीं था पर एक मेघावी वाणी ने यह कहा उसकी बाद में देखेंगे , अभी तो आन बान और शान की लड़ाई है । अभी इससे निपटते हैं । मैं ये नही समझ पाया कि उन नौजवानो के शान का क्या होगा जो सलाखों के पीछे पड़े हैं ।
विचार हुआ जरा उनका जायजा लिया जाए जो इस घटना के सूत्रपात के समय थे । उनलोगों की पीड़ा देख यह बवाल मचा था । पता लगा उन्हे कोई समस्या नहीं है । वो तो अपनी दिनचर्या में आराम से मशगूल हैं , कही किसी प्रकार का विरोधात्मक आभास नहीं है । मुझे याद आया उन बच्चों की कहानी जो एक खिलौने के लिए आपस मे  लड़ पड़े थे । उनकी लड़ाई देख दोनों के परिवारवाले आपस में गुत्थमगुत्था हो गए , एक दूसरे के जान के प्यासे हो गए । थोड़ी देर बाद दोनों बच्चे फिर से साथ खेलते नजर आए पर उनके घरवाले आपस में लड़ते नजर आए । यही तो यहाँ भी होता दिख रहा है । घटना के सूत्रपात और सूत्रधार दोनों मजे में है और बाकी जनता आपस में लड़े जा रही है । देखें कब पटाक्षेप होता है इस अल्पयुद्ध का ।

गली कूचा

राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता , कोई अपना नही होता । अब अपने कलेश्वर को ही लीजिये , एक समय था सबको दिखाने के लिए , अपनी साख बचाने के लिए महामंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिये तथा परोक्ष रूप से शासन चलाने के उद्देश्य से बलेश्वर को महामंत्री के पद पर बैठा दिये । सोचा होगा कि ये तो कुछ कहेगा नहीं और हम पर्दे के पीछे रहकर सत्ता चलाएँगे , आखिर राज तो अपना ही है । बलेश्वर सब बात मानेंगे  ही । समय करवट बदलता है , कुछ दिन तो बलेश्वर वही क़हत ए रहे जो कलेश्वर कहते जाते । पर जैसे ही दाव पेंच सीख गए , घुमाके पटकनी दे दिये । सत्ता के गलियारे में खबर उठी की जल्दी ही बलेश्वर को सत्ता से निकालकर कलेश्वर फिर से महामंत्री बनने जा रहे हैं । दल के फैसले में यह तो तय हो गया कि बलेश्वर को हटाकर कलेश्वर पदासीन होंगे , पर स्थिति ऐसी हैं कि यदि बलेश्वर अपने पद से इस्तीफा नहीं देते तो कलेश्वर कैसे पदासीन होंगे । जनता ने कलेश्वर को यह भी कहते हुए पाया कि जरूरत हुई तो हम अपने समर्थक मंत्रियों का परेड करवा देंगे , दिखा देंगे कि किसमे कितनी ताकत है । कयास लगाया जा रहा है कि कलेश्वर अपने समर्थक विधायकों के साथ किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं , या फिर उस दल के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते है । अब यह तो रंगमंच ही तय करेगा कि कौन जीतेगा । जो भी हो इस क्रम में अपने दल का दो फाड़ होना तो तय है । अब देखा जाये कि ऊंट किस करवट बैठता है और किसे क्या मिलता है । 

शनिवार, 20 सितंबर 2014


वादियों में एक बर्फीली शाम



वादियों में एक बर्फीली शाम
बिनय कुमार शुक्ल

दूर गगन की छाँव  में
तन्हा था वो गाँव,
घनी वादियाँ  ढकी हुई थी बर्फीले चादर में ,
इन का मालिक, शायद परिचित था मेरा कोई,
रहता था वो दूर कहीं ।
मेरे आने, रुकने की आहात
देख नहीं सकता था वो अभी ।

मेरा साथी  ,चेतक मेरा
चौंक उठा मेरे रुकने पर ,
ना कहीं छाया , ना कोई ठौर
क्यों बढ़ आया था मैं इस ओर ,
हल्के झोंके से  रोका उसने,
अपनी भाषा में टोका उसने
क्यों बढ़ आया था मैं इस ओर ।

खूब घनी ,अप्रतीम सुंदर हो तुम
पर कुछ वादा मुझको है निभाना,
ऐ वादियों ना ठहरूँगा अभी ,
दूर मुझे है जाना ।